
집안의 인정을 받기 위해 주인공은 도술을 깨우치려 발버둥친다.
도술을 깨우친 주인공은 그 후 더 큰 뜻을 품게 되는데...
무술과 도술이 흥하던 시대를 살아가는 한 사나이의 이야기
제목 | 날짜 | 조회 | 추천 | 글자수 | |
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145 | 별부 (이후 개괄적 이야기) | 22.12.04 | 200 | 1 | 7쪽 |
144 | 144. 종미[終尾] (6) - 끝 - | 22.12.03 | 186 | 1 | 16쪽 |
143 | 143. 종미[終尾] (5) | 22.12.02 | 157 | 1 | 11쪽 |
142 | 142. 종미[終尾] (4) | 22.12.01 | 166 | 1 | 12쪽 |
141 | 141. 종미[終尾] (3) | 22.11.29 | 153 | 1 | 11쪽 |
140 | 140. 종미[終尾] (2) | 22.11.27 | 161 | 1 | 11쪽 |
139 | 최종장 - 139. 종미[終尾] (1) | 22.11.26 | 174 | 2 | 12쪽 |
138 | 7장 끝 - 138. 대집결 | 22.11.24 | 168 | 1 | 12쪽 |
137 | 137. 습격받은 팔부신중 | 22.11.22 | 169 | 1 | 11쪽 |
136 | 136. 어영부영 해결된 사건 | 22.11.19 | 163 | 1 | 11쪽 |
135 | 135. 본격적인 작전 시작 | 22.11.19 | 176 | 1 | 11쪽 |
134 | 134. 아배지의 저주 | 22.11.17 | 165 | 1 | 11쪽 |
133 | 133. 엉망이된 시작 | 22.11.15 | 170 | 1 | 11쪽 |
132 | 132. 팔부신중 | 22.11.12 | 169 | 1 | 11쪽 |
131 | 131. 다시 만난 소기와 소령 | 22.11.11 | 164 | 1 | 11쪽 |
130 | 130. 국선신공 | 22.11.10 | 164 | 1 | 11쪽 |
129 | 129. 위기에 빠진 사선도 | 22.11.08 | 176 | 1 | 12쪽 |
128 | 128. 서석교와 무교파 | 22.11.05 | 164 | 1 | 12쪽 |
127 | 127. 천사 사타적 | 22.11.03 | 173 | 1 | 11쪽 |
126 | 126. 재건의 시작 | 22.11.01 | 175 | 1 | 11쪽 |
125 | 125. 달라진 무림 세계 | 22.10.29 | 183 | 1 | 12쪽 |
124 | 124. 완성된 길 | 22.10.27 | 176 | 1 | 11쪽 |
123 | 123. 옛 해동 도교 도사의 함정 | 22.10.25 | 195 | 1 | 12쪽 |
122 | 122. 사선도로 향하다 | 22.10.22 | 180 | 1 | 12쪽 |
121 | 121. 무룡 도인의 싸움 | 22.10.20 | 185 | 2 | 11쪽 |
120 | 120. 사타적 대 장관영 | 22.10.18 | 186 | 2 | 11쪽 |
119 | 7장 시작 - 119. 번화에서 탈출 | 22.10.15 | 188 | 2 | 11쪽 |
118 | 6장 끝 - 118. 금강산을 차지한 서석교 | 22.10.13 | 187 | 2 | 11쪽 |
117 | 117. 마교 대 표훈사 | 22.10.11 | 201 | 2 | 11쪽 |
116 | 116. 집결 | 22.10.08 | 200 | 1 | 11쪽 |