작품소개
본디 내 사주에서 나는 큰 나무란다.
그것도 근처에 꽃이 피어난.
네 것도 네것, 내 것도 네 것이 되는 ‘한정우’
그에게 어울리는 별명은 ‘호구’
그에게 어울리는 사자성어 ‘토사구팽’
어느날 그에게 누군가 찾아와 말한다.
“드디어 찾았다! 당신 나랑 일 하나 하자.”
제목 | 날짜 | 조회 | 추천 | 글자수 | |
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86 | 자네는 어떻게 할 생각인가? | 24.12.30 | 8 | 0 | 14쪽 |
85 | 미친놈 | 24.12.28 | 10 | 0 | 13쪽 |
84 | 그럼, 돌아가자. | 24.12.27 | 8 | 0 | 10쪽 |
83 | 사진 뒷면 | 24.12.26 | 9 | 0 | 13쪽 |
82 | 마주해야 할 시기 | 24.12.25 | 9 | 0 | 11쪽 |
81 | 그 얼굴이면... | 24.12.24 | 8 | 0 | 10쪽 |
80 | 우연 | 24.12.23 | 9 | 0 | 12쪽 |
79 | 부산밤바다 | 24.12.21 | 9 | 0 | 11쪽 |
78 | 키링 | 24.12.20 | 10 | 0 | 12쪽 |
77 | 어떻게 하시렵니까? | 24.12.19 | 11 | 0 | 13쪽 |
76 | 기억 | 24.12.18 | 10 | 0 | 12쪽 |
75 | 양자리 | 24.12.17 | 10 | 0 | 11쪽 |
74 | 아저씨 말대로 | 24.12.16 | 10 | 1 | 12쪽 |
73 | 수상한 아저씨 | 24.12.14 | 10 | 1 | 12쪽 |
72 | 여기서 또 뵙네요 | 24.12.13 | 9 | 1 | 12쪽 |
71 | 그냥 내버려둬 | 24.12.12 | 9 | 1 | 10쪽 |
70 | 그래. 떠나,우리. | 24.12.11 | 10 | 1 | 11쪽 |
69 | 도망 | 24.12.10 | 10 | 1 | 11쪽 |
68 | 벙어리 | 24.12.09 | 10 | 1 | 10쪽 |
67 | 피난길 | 24.12.07 | 9 | 1 | 9쪽 |
66 | 아직 늦지 않았어 | 24.12.06 | 10 | 1 | 11쪽 |
65 | 부탁드려도 될까요? | 24.12.06 | 8 | 1 | 9쪽 |
64 | 다가갈 수 없어 | 24.12.05 | 9 | 1 | 12쪽 |
63 | 사과 | 24.12.04 | 10 | 1 | 10쪽 |
62 | 에릭의 바램 | 24.12.03 | 11 | 1 | 10쪽 |
61 | 조각난 사진 | 24.12.02 | 10 | 1 | 10쪽 |
60 | 찢긴 사진 | 24.11.30 | 10 | 1 | 11쪽 |
59 | 보석함 | 24.11.29 | 10 | 1 | 10쪽 |
58 | 바보 같은 | 24.11.28 | 11 | 1 | 12쪽 |
57 | 그렇지, 서아야? | 24.11.27 | 10 | 1 | 10쪽 |